हमने न जाने कितने सच्चे देशभक्त और क्रांतिकारियों को गुमनाम मरने दिया होगा! ऐसी ही एक वीरांगना की कहानी है ऐ। एक ऐसी घटना, जिसे सुनकर फिर से सोचने के लिए आप विवश हो जाएंगे कि सच मे चरखे से आजादी आई थी ,ये कहानी एक बेसहारा, लावारिस और अनजान के रूप में हुई एक मृत्यु का दर्दनाक सच .है, श्रीमती नीरा आर्य ( ०५-०३-१९०२ ~ २६-०७-१९९८ ) - श्रीमती नीरा आर्य ने श्रीकांत जोइरोंजोन दास से शादी की, जो ब्रिटिश पुलिस में एक सीआईडी इंस्पेक्टर थे। जब कि नीरा आर्य एक सच्ची राष्ट्रवादी थीं, उनके पति एक सच्चे ब्रिटिश नौकर थे। देशभक्त होने के नाते नीरा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की INA की महिला बिग्रेड झांसी रेजिमेंट में शामिल हुईं । नीरा आर्य के पति इंस्पेक्टर श्रीकांत जोइरोंजोन दास सुभाष चंद्र बोस की जासूसी कर रहे थे और जोइरोंजोन दास ने एक बार सुभाष चंद बॉस पर गोलियां चला दीं लेकिन सौभाग्य से सुभाष चंद जी बाल-बाल बच गए। सुभाष चंद बोस को बचाने के लिए नीरा आर्य ने अपने पति की चाकू मार कर हत्या कर दी थी। हालाँकि, I.N.A के आत्मसमर्पण के बाद। लाल किले में एक मुकदमा (नवंबर-1945 और मई-1946) तक चला। नी...